मां खारुन गंगा महाआरती: 108 पुरोहितों ने की भव्य आरती, भक्तिमय हुआ महादेव घाट

Maa Kharun Ganga Mahaarati

Maa Kharun Ganga Mahaarati

रायपुर। तिवारी: Maa Kharun Ganga Mahaarati: महादेव घाट स्थित पावन खारुन नदी के तट पर आज एक अद्भुत और अलौकिक दृश्य देखने को मिला। मुख्य पुरोहित आचार्य पंडित धीरेंद्र शास्त्री जी के नेतृत्व में 108 ब्राह्मण पुरोहितों ने एक साथ खड़े होकर मां खारुन गंगा महाआरती का दिव्य आयोजन किया। मंत्रोच्चारण और घंटा-घड़ियालों की ध्वनि से पूरा वातावरण गूंज उठा और इस भव्य आयोजन के साक्षी बनने हजारों श्रद्धालु भक्त महादेव घाट पर उमड़ पड़े।

मां खारुन गंगा महाआरती महादेव घाट जनसेवा समिति से मिली जानकारी के मुताबिक, प्रतिदिन सायं यहां होने वाली मां खारुन गंगा महाआरती की ख्याति दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। रायपुर शहर ही नहीं, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ प्रदेश में इसकी महिमा का प्रचार प्रसार हो रहा है। भक्तों की बढ़ती संख्या इस बात का प्रमाण है कि लोगों में मां खारुन के प्रति श्रद्धा और भक्ति निरंतर गहरी होती जा रही है।

समिति के सदस्यों ने बताया कि महाआरती में भाग लेने वालों की संख्या में प्रतिदिन वृद्धि हो रही है, जिससे महादेव घाट क्षेत्र में एक नया धार्मिक पर्यटन केंद्र बनने की संभावना भी मजबूत हो रही है। इसके चलते घाट के आसपास के छोटे व्यापारियों, फेरीवालों, प्रसाद विक्रेताओं और नाव चालकों के व्यापार में भी सकारात्मक प्रभाव दिखाई देने लगा है। स्थानीय नाविकों ने खुशी जताई है कि अब घाट पर अधिक संख्या में भक्तगण आ रहे हैं, जिससे नाव विहार (बोट राइड) का आनंद लेने वालों की संख्या में भी वृद्धि हुई है।

भक्तों का कहना है कि मां खारुन की महाआरती में शामिल होकर उन्हें अनोखी शांति और ऊर्जा की अनुभूति होती है। ज्योतिपुंज से जगमगाते दीपों की कतार, गूंजते जयकारे और श्रद्धालुओं का उमड़ता सैलाब यह प्रमाणित कर रहा है कि महादेव घाट न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक और आर्थिक जागृति का भी नया केंद्र बनता जा रहा है।

आयोजकों ने बताया कि आने वाले समय में मां खारुन गंगा महाआरती को और भी भव्य बनाने के लिए विशेष योजनाएं तैयार की जा रही हैं, जिनमें भजन संध्या, धार्मिक प्रवचन और विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन शामिल रहेगा। साथ ही घाट की साफ-सफाई, यातायात व्यवस्था और सुरक्षा के लिए भी व्यापक इंतजाम किए जा रहे हैं ताकि श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो।

मां खारुन गंगा महाआरती अब केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं रही, बल्कि यह जनभावनाओं और सामूहिक श्रद्धा का एक जीवंत प्रतीक बन चुकी है।